भंवरी देवी और शिवानी ,जेसिका का अंतर
शायद भंवरी लगभग मार ही दी गयी हो होगी . ताकतवर और समझदार हत्यारे ने कोई सुराग नही छोड़ा है .अब तक सी बी आई भी पता नही लगा पाई है .(वैसे जब वास्तव में पता न लगाना या लगवाना हो तो केस सी बी आई को ही दिया जाता ). मेरे मन में बात नेताओ या सी बी आई को लेकर नही उठ रही है .आज मित्र मुकेश से बात हो रही थी ,कि क्या होगा इस केस का ? सामान्य भारतीय मानसिकता के मारे हम ने यही कहा कि ९९ प्रतिशत कुछ नही होगा . होना होगा तो जमानत जमानत का खेल होगा .
इसी बातचीत में मुकेश ने बड़े संवेदनशील बिंदु की ओर हम सबका ध्यान दिलाया . उन्होंने कहा कि जेसिका और शिवानी की दुखद मौत पर घर से निकल कर इंडिया गेट पर मोमबत्ती जला कर विरोध करने वाला इस बार कहा है . अगर शिवानी और जेसिका की मौत पुरुषवादी मसिकता की क्रूर परिणति थी तो भंवरी की परिणति का और क्या कारण हो सकता है ? जेसिका से उच्च वर्ग के पुरुष शराब परोसवा रहे थे तो शिवानी को कैरिएर की कठिन रस्ते पर चलने के लिए पुरुष के कन्धो के सहारे का लालच दे रहा था . भंवरी को भी इसी मानसिकता ने अपने गिरफ्त में ले रक्खा था .पुरुषो का इस्तेमाल करना या उनसे इस्तेमाल होने के सिवा उसके पास और क्या chara हो सकता था .उसने तो वही हथियार इस्तेमाल किया जिसके बारे में पुरुषो को बहुत महारत हासिल रही है .सी डी ,ऍम ऍम एस ,फोटो ,प्रेमपत्रो का इस्तेमाल कर वह किसी भी स्त्री को ब्लैक मेल कर लेने का हौसला रखता है . भंवरी तो उन विरल स्त्रिओ में से हुई जो ब्लैकमेल होने की जगह करना चाहा.
स्त्री वादी लोग भी वह सक्रियता नहीं दिखा रहे जिनके लिए वे दम भरते है .
भंवरी उच्च मध्य वर्ग की नहीं थी शायद और न ही शहरी और न ही ऐसी किसी जाति की जिसका वोट सरकार बनवा दे .
शायद भंवरी लगभग मार ही दी गयी हो होगी . ताकतवर और समझदार हत्यारे ने कोई सुराग नही छोड़ा है .अब तक सी बी आई भी पता नही लगा पाई है .(वैसे जब वास्तव में पता न लगाना या लगवाना हो तो केस सी बी आई को ही दिया जाता ). मेरे मन में बात नेताओ या सी बी आई को लेकर नही उठ रही है .आज मित्र मुकेश से बात हो रही थी ,कि क्या होगा इस केस का ? सामान्य भारतीय मानसिकता के मारे हम ने यही कहा कि ९९ प्रतिशत कुछ नही होगा . होना होगा तो जमानत जमानत का खेल होगा .
इसी बातचीत में मुकेश ने बड़े संवेदनशील बिंदु की ओर हम सबका ध्यान दिलाया . उन्होंने कहा कि जेसिका और शिवानी की दुखद मौत पर घर से निकल कर इंडिया गेट पर मोमबत्ती जला कर विरोध करने वाला इस बार कहा है . अगर शिवानी और जेसिका की मौत पुरुषवादी मसिकता की क्रूर परिणति थी तो भंवरी की परिणति का और क्या कारण हो सकता है ? जेसिका से उच्च वर्ग के पुरुष शराब परोसवा रहे थे तो शिवानी को कैरिएर की कठिन रस्ते पर चलने के लिए पुरुष के कन्धो के सहारे का लालच दे रहा था . भंवरी को भी इसी मानसिकता ने अपने गिरफ्त में ले रक्खा था .पुरुषो का इस्तेमाल करना या उनसे इस्तेमाल होने के सिवा उसके पास और क्या chara हो सकता था .उसने तो वही हथियार इस्तेमाल किया जिसके बारे में पुरुषो को बहुत महारत हासिल रही है .सी डी ,ऍम ऍम एस ,फोटो ,प्रेमपत्रो का इस्तेमाल कर वह किसी भी स्त्री को ब्लैक मेल कर लेने का हौसला रखता है . भंवरी तो उन विरल स्त्रिओ में से हुई जो ब्लैकमेल होने की जगह करना चाहा.
स्त्री वादी लोग भी वह सक्रियता नहीं दिखा रहे जिनके लिए वे दम भरते है .
भंवरी उच्च मध्य वर्ग की नहीं थी शायद और न ही शहरी और न ही ऐसी किसी जाति की जिसका वोट सरकार बनवा दे .
नमस्कार !
जवाब देंहटाएंभंवरी का केस चर्चित हो गया किन्तु सत्ता के गलियारे में ऐसे बहुत सारे मामले हैं जिनपर केवल चौपाल चर्चा होती है.मीडिया भी हजार में से एक केस की चर्चा उठाकर अपना रिकार्ड ठीक कर लेती है. मीडिया के ग्राहक तो ऊपर वाले ही हैं, तो उसका सरोकार अपने उपभोक्ताओं तक ही है.
आपको ब्लॉग पर देखकर अति प्रसन्नता हुई. शुभकामनाएं.
जय प्रकाश